सावन के गधे के बारे मे तो आपने सुना ही होगा.....
इन दिनो वो काफ़ी खुश रहते हैं...
कहावत है की अगर वो अभी अंधे हो जाए, तो मरते दम तक खुश रहते हैं...
पर कल तो गजब हो गया...
दिल्ली मे घनघोर बारिश के बाद मैं टहलने निकला,
तो गधो का एक झुंड के चेहरो पे स्थाई विषाद छाया था...
मेरा दिमाग़ चकराया, समझ मे कुछ ना आया.
गधो से असीम प्रेम के कारण थोड़ा दिमाग़ लगाया..
गधो का विषाद ऐसे ही नही था !
एक मनुष्य थोड़ी देर पहले घास चरने आया था !!!
कौन कहता है गधे समझते नही हैं
भविष्य की चिंता उन्हे भी सताने लगी हैं
महँगाई से अब गधो की भी जान आफ़त मे आने लगी है||