मैं यहाँ क्यों आ गया
तुझे छोड़ के...
क्या यही थें मेरे जीवन के सपने...
क्या यही चाहता था मैं...
क्या चाहता था मैं... क्या यही...
मेरे सपने थे तेरे संग जीने के... मरने के...
मर तो लूँगा मैं तेरे साथ.. पर क्या जी पाऊँगा..
फिर...???
मैं यहाँ क्यों आ गया, तुझे छोड़ के...
चाहा था मैने तुझे बहुत... पता नही शायद नही...
झूठ बोलता हूँ अपने आप से...
मैनें तुझे नही चाहा था....
अगर हाँ.... तो
मैं यहाँ क्यों आ गया. तुझे छोड़ के...
दिन रात सोचता हूँ, तेरे बारे में...
याद आता है, एक एक पल..
फिर... फिर क्या रोकता है मुझे.. तुझसे मिलने से...
क्या रोकता है मुझे... तेरे संग फिर जीने से..
क्या यही चाहा था मैने...
सब कुछ तो ठीक था..... फिर अचानक क्या हो गया...
मैं यहाँ क्यों आ गया, तुझे छोड़ के...
लोग कहतें हैं अब नही जी पाऊँगा तेरे संग.....
क्या सच कहते हैं वो........ क्या उन्हे सब पता है.......
तू बता तुझे क्या लगता है... क्या नही आऊंगा तेरे पास अब...
क्या फिर से नही झूमूंगा-गाऊँगा तेरे संग... क्या फिर नही पाऊँगा तुझे....
नही....... मैं फिर आऊंगा.... मरने नही... जीने आऊंगा...
तेरे साथ लड़ने और झगरने आऊंगा..
तेरे संग बोलने और गुनगुनाने आऊंगा...
फिर आऊंगा तुझे पाने... तुझे गले लगाने..
पता नही कब... पर आऊंगा....... तेरे संग जीने आऊंगा.............
क्योंकि रोज सोचता हूँ मैं ---- मैं यहाँ क्यों आ गया, तुझे छोड़ के......
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Main yahan kyon aa gaya
Tujhe choer ke...
Kya yahi thein mere jivan ke sapne...
Kya yahi chahta thaa main...
Kya chahta tha main... kya yahi...
Mere sapne the tere sang jeene ki... marne ke...
Mar to loonga main tere saath.. par kya jee paoonga..
Phir...???
Main yahan kyon aa gaya, tujhe choer kar...
Chaha tha maine tujhe bahut... pata nahi sayad nahi...
Jhuth bolta hoon apne aap se...
Maine tujhe nahi chaha tha....
Agar haan.... to
Main yahan kyon aa gaya.. Tujhe choer ke....
Din raat sochta hoon, tere baare mein...
Yaad aata hai, ek ek pal..
Phir... Phir kaya rokta hai mujhe.. tujhse milne se...
Kya rokta hai mujhe... tere sang phir jine se..
Kya yahi chaha thaa maine...
Sab kuch to thik tha..... phir achanak kya ho gaya...
Main yahan kyon aa gaya, tujhe choer ke...
Log kahtein hain ab nahi jee paoonga tere sang.....
Kya sach kahte hain wo........ kya unhe sab pata hai.......
Tu bata tujhe kya lagta hai... kya nahi aaoonga tere paas ab...
kya phir se nahi jhumoonga-gaoonga tere sang... kya phir nahi paoonga tujhe....
Nahi....... Main phir aaoonga.... Marne nahi... jeene aoonga...
Tere saath larne aur jhagarne aaoonga..
Tere sang bolne aur gungunane aoonga...
Phir aoonga tujhe paane... Tujhe Gale lagane..
Pata nahi kab... par aoonga....... tere sang jeene aoonga.............
Kyonki roj sonchta hoon main - Main yahan kyon aa gaya, tujhe choer ke......
Friday, April 16, 2010
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2 comments:
That is really a nice one.
Thanks Dear.... :-) I'm happy that you liked it. BTW, I'm waiting for person whom will really understand it that for whom this has been written.
Regards
Navrang
http://navrangblog.blogspot.com
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